नीमच। कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर का एक दशक पहले नाम चलता था, तस्करों की दुनिया में बंशी गुर्जर का तेजी से उछला था और दर्जनों केस उस पर दर्ज हो गए थे, तो उसने मरने की फर्जी कहानी बनाई और खुद को पुलिस के कथित एनकाउंटर में मरा बता दिया। जिंदा पकडाने के बाद तस्करी की दुनिया में बंशी गुर्जर का नाम गायब हो गया, इसके बाद तस्करी की दुनिया में दूसरा नाम नीमच जिले में सामने आया वह है कुख्यात तस्कर बाबू उर्फ जयकुमार सिंधी पिता तोलाराम सिंधी। बाबू पोस्ता की आड में डोडाचूरा की बडे पैमाने पर खुलेआम तस्करी कर रहा था। बाबू सिंधी इन दिनों भोपाल सेंट्रल जेल में है, वहीं उसके अन्य साथी फरार है। अब नया नाम सामने आया है पप्पू धाकड का। पप्पू धाकड वैसे छोटे से गांव हाथीपुरा का रहने वाला है, जो कि रतनगढ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पप्पू धाकड पर मध्यप्रदेश में तो गिनती के मामले दर्ज है, लेकिन एनडीपीएस एक्ट के राजस्थान में ज्यादा है। राजस्थान पुलिस को दो वर्ष से उसकी तलाश है, पर पप्पू धाकड क्षेत्र में घूम रहा था और घर पर हाईटेक कमरा बना रखा था, जो पुलिस ने ध्वस्त किया है। इसका सीधा मतलब है कि पप्पू धाकड हाथीपुरा में ही रहता था। पप्पू धाकड ने उमर पंचायत से चुनाव लडा और प्रचार—प्रसार भी किया और चुनाव जीत गया और तस्करी के साथ—साथ वह सरपंची भी कर रहा था। अब सवाल उठता है कि क्या रतनगढ थाना प्रभारी और अन्य पुलिस अधिकारी का उसका संरक्षण था। सूत्र तो यह भी बताते है कि रतनगढ थाने में पप्पू धाकड की मासिक बंदी फिक्स है।
सीबीएन की नजर के बाद पप्पू धाकड का काम खराब हुआ— पप्पू धाकड कई सालों से तस्करी की गतिविधियों को अंजाम दे रहा था और पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन पिछले महिने पप्पू धाकड के ठिकाने पर सीबीएन ने कार्रवाई कर उसके रैकेट का भंडाफोड किया था और दूसरी बार 27 नवंबर की रात को दबिश देकर 17 क्विंटल डोडाचूरा जब्त किया और बहुत सारे हथियार भी जब्त किए। कुल मिलाकर पुलिस तो उसके खिलाफ कुछ भी नहीं कार्रवाई कर रही थी, लेकिन सीबीएन की नजर के बाद पप्पू का काम खराब हो गया।