— किसान आंदोलन और कोरोना में भी शराब दुकानों में लूट और तोडफोड की घटना हो चुकी है, उस वक्त सख्ती बरती जाती तो जग्गाखेडी जैसे हालात नहीं बनते
मंदसौर। मंदसौर जिले में जनता की आड़ में कतिपय लोग भीड़ का हिस्सा बनकर सरेआम कानून का मजाक बना रहे है। इनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं होने के कारण कुछ समय के अंतराल में मंदसौर में दुकानों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ रही है। ताजा मामला मंदसौर के पास स्थित जग्गाखेड़ी शराब दुकान का है, जिसमें कुछ लोगों ने कथित विरोध की आढ में शराब दुकान में जमकर उत्पात मचाया और कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की गई। मंदसौर में शराब दुकानों में तोडफोड का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले किसान आंदोलन और कोरोना काल में भी कई शराब दुकानें लूट गई और तोडफोड की गई। उस वक्त भी तोडफोड करने वाले बच निकले थे, पुलिस प्रशासन ने इनके खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया गया। पिपलियामंडी में तो शराब दुकान में आग लगा दी थी। मंदसौर के जग्गाखेडी में कुछेक लोगों ने जिला पुलिस प्रशासन की इसी कमजोरी का फायदा उठाया। उन्हें लगता है कि तोडफोड के मामले में तो पुलिस धरपकड नहीं करती है, जांच में मामला चलता है और बाद में छूट जाते है, लेकिन यह मामला हाई लेवल तक पहुंचा है, क्योंकि मंदसौर की कानून व्यवस्था का सवाल है। जानकारों का कहना है कि जग्गाखेडी शराब दुकान में तोडफोड करने वालों का सार्वजनिक जुलूस निकाला जाए और उनकी अवैध संपत्ति पर बुलडोजर कार्रवाई हो, तब जाकर इन्हें सबक मिलेगा।
गांव के कुछ दबंगों के इशारें पर हमला— अब बचने की कोशिश—
सूत्र बताते है कि गांव के ही अपराधिक किस्म के कुछ दबंगों के इशारों पर यह हमला बोला गया है। जग्गाखेडी शराब दुकान बीते नौ साल से संचालित है, ऐसा नही है कि नई दुकान लगी हो, कुछ लोगों को अगर दुकान के संबंध में आपत्ति होती तो वे आबकारी या फिर कलेक्टर—एसपी को भी ज्ञापन दे सकते थे, शांतिप्रिय तरीके से अपनी बात रख सकते थे, पर ऐसा नहीं किया गया। कानून का मखौल उडाया गया। इस मामले में यह बात भी सामने आई है कि सरपंच रेखा गुर्जर ने पूर्व में सिर्फ एक बार ही शराब दुकान को लेकर आपत्ति दर्ज करवाई थी, पूर्व में कोई शांतिप्रिय आंदोलन नहीं हुआ। अचानक दुकान पर हमला बोल दिया गया।