मूलचंद खींची की रिपोर्ट
नीमच। नीमच पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल के निर्देशन में मादक पदार्थ के उत्पादन में अव्वल नीमच जिले में मादक माफियाओ का सफाया जारी है, जिस तरह से प्रदेश के कुछ हिस्सों में नक्सलियों को सलाखों के साथ—साथ उपर भी भेजा रहा है। इसी तरह नीमच जिले में मादक माफियाओं का खात्मा पुलिस प्रशासन कर रहा है, अकेले नीमच जिले को नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ड्रग्स जहर घोलने का काम कर रहा है। युवा पीढी से लेकर बुजुर्ग नशे की लत से तबाह हो रहे है। कुछ लालच में आकर नीमच जिले के स्थानीय युवा अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे है। इतिहास को देखा जाए तो कौन सा तस्कर सुकून से रहा रहा है, मादक पदार्थ की तस्करी कर कौन करोडपति बना है, उनकी जिंदगी या तो सलाखों के पीछे बीतती है या फिर तस्करी से कमाई गई करोडों की दौलत सरकार जब्त करती है। नीमच जिले में मादक पदार्थ की तस्करी सालों से हो रही है और धरपकड भी सालों चल रही है, लेकिन जब ज्यादा धरपकड शुरू होती है तो तस्कर लॉब घबराहट में आ पहुंचती है। नीमच पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल के नेतृत्व में पिछले वर्ष 2024 में ही 140 मादक पदार्थ के प्रकरण पुलिस ने पकडे है और करीब 30 टन मादक पदार्थ जब्त कर करीब 300 तस्करों को सलाखों के पीछे धकेला है, वहीं दूसरी और कई कुख्यात तस्करों द्वारा तस्करी के रूट से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने के लिए सफेमा के तहत कार्रवाई हुई है।
कल बुधवार को मनासा थाना क्षेत्र के ग्राम चौकडी में आखिर बवाल क्यों मचा। सिंगोली टीआई उमेश यादव सहित अन्य पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों ने करीब 7 घंटे तक क्यों बंधक बनाए रखा, सिंगोली पुलिस ने 54 किलो डोडाचूरा का प्रकरण बनाया था इससे कोई शिकायत थी तो उचित प्लेटफार्म पर शिकायत रख सकते थे, एसपी आफिस आ सकते थे, विधायक से शिकायत कर सकेते थे, आईजी, डीआईजी या फिर डीजीपी आफिस में शिकायत कर सकते थे, सीएम हेल्प लाईन में शिकायत कर सकते थे, क्या पुलिस को बंधक बनाकर शिकायत करना उचित है। कानून हाथों में लेकर अपनी बात बताना कहां से जायज है, अगर पुलिस ने 35 किलो की जगह 54 किलो डोडाचूरा किया तो इसके तुरंत बाद विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं किया गया, जब जांच करने के लिए पुलिस आरोपी को लेकर पहुंची तो तालिबानी व नक्सली स्टाईल से टीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया, करीब 7 घंटे तक बंधक बनाए रखना। सूत्र बताते है कि इसके पीछे तस्करों की लॉबी सक्रिय हो गई और पुलिस को बदनाम करने की साजिश रचना शुरू हो गई, वाटसऐप ग्रुपों में यह मैसेज फैलाया गया कि नीमच पुलिस ने झूठा केस बनाया है, इसलिए टीआई को बंधक बना लिया है। पुलिस ने झूठा केस बनाया या फिर सही, इस बारे में जांच करवाना बडे अधिकारियों का काम है, लेकिन मौके पर टीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर ग्रामीण क्या हासिल करना चाहते थे। यह बात स्पष्ट है कि कहीं न कहीं पुलिस प्रशासन को बदनाम करने व पुलिस इस तरह की कार्रवाई न करें, इसलिए दबाव बनाने का सुनियोजित तरीके से यह षडयंत्र रचा गया। अब सबकुछ हो गया, पुलिस को बंधक बनाने का केस भी दर्ज हो गया, हमला करने का केस भी दर्ज हो गए। जांच भी होगी, पर कानून हाथ में लेकर पुलिस को खदेडना, बंधक बनाने का संदेश देकर तस्करों की लॉबी ने एक बार फिर पुलिस के पैर तस्करों को पकडने के लिए पीछे हटे, इसका भरपूर प्रयास किया।
चौकडी में किन—किन मोबाइल से हो रही थी तस्करों से बातचीत— जैसे ही यह बवाल मचना शुरू हो गया, वैसे ही तस्करों की लॉबी एक्टिविटी सक्रिय हो गई। कुछेक ग्रामीणों से मामले को हाईजैक कर लिया था और तस्करों के इशारे पर यह सबकुछ हो रहा था। पुलिस चौकडी गांव में शाम चार बजे से रात 11 बजे तक एक्टिव मोबाइल सीम और बाहर किन—किन नंबरों से लगातार बातचीत सहित मोबाइल टॉवर लोकेशन सहित कई तकनीकी बिंदुओं पर जांच पडताल करें तो आसानी से खुलासा होगा कि तस्करों की एक लॉबी आग में घी डालने का काम कर रही थी।