सरपंची ठेके देने वाली महिला सरपंच को पद से हटाया, सोशल मीडिया में मामला आने के बाद प्रशासन ने बैठाई थी जांच, जांच में अनुबंध पाया गया सही
  • Reporter : dashpur live desk
  • Updated on: February 11, 2025, 1:17 pm

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में दांता ग्राम पंचायत की सरपंच कैलाशीबाई पति जगदीश कच्छावा को सरपंची ठेके पद देने के मामले में जिला प्रशासन ने सरपंच पद से हटा दिया है। जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया में उठा तो जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अमन वैष्णव ने जांच बैठा दी थी और तीन दिन के अंदर ही जांच रिपोर्ट आ गई है और जांच में 500 रूपए के स्टॉम्प पर गांव के ही सुरेश गरासिया के नाम पर सरपंची लिख देने की पुष्टि हुई है। इसके बाद पंचायत राज एवं स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के अंतर्गत ग्राम पंचायत दांवा की सरपंच कैलाशीबाई को पद से पृथक कर दिया है।
जिले की ग्राम पंचायत दांता पूरे देश में उस समय सूर्खियों में आ गई, जब सरपंच कैलाशीबाई कच्छावा और गांव के ही व्यक्ति सुरेश गरासिया के बीच 500 रूपए के स्टॉम्प पर हुए अनुबंध सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। अनुबंध में बकायदा कैलाशीबाई प्रथम पक्ष और द्वितीय पक्ष सुरेश गरासिया बना। दोनों के बीच हुए अनुबंध में स्पष्ट लिखा गया कि आज के बाद ग्राम पंचायत के सरपंच के समस्त कार्य मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, वाटरशेड इत्यादि जो भी कार्य है, जो शासन के अंतर्गत होते है वह समस्त कार्य सुरेश पिता मांगीलाल गरासिया मेरे स्थान पर करेंगे और उसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी। जहां पर सरपंच के हस्ताक्षर होगी, वहां पर कैलाशीबाई कर देगी। इस अनुबंध का कोई पालन नहीं करेगा तो उससे हर्जा—खर्जा चार गुना वसूल जाएगा। जिला प्रशासन ने ठेके पर सरपंची देने के इस मामले को गंभीरता से लिया। सरपंच, अनुबंध में लिखे दो गवाह, सचिव, स्टॉम्प वेंडर सहित अन्य लोगों को सूचना पत्र जारी किए गए। खास बात यह है कि सरपंच कैलाशीबाई, सचिव जीवनलाल पाटीदार ने स्पष्ट रूप से अनुबंध फर्जी बताया और इस प्रकार का अनुबंध तैयार नहीं किए जाने की बात कही। इसी प्रकार अनुबंध में गवाह बने सदाराम व मांगीलाल ने भी इनकार किया और खुद के हस्ताक्षर न होने की बात कही, लेकिन स्टॉम्प पर हस्ताक्षर सही पाए जाने पर यह एक्शन लिया गया। जिला पंचायत सीईओ अमन वैष्णव ने बताया कि सरपंच कैलाशीबाई को पद से पृथक कर दिया गया है। नए सिरे से पंचायत के चुनाव के लिए पृथक से अधिसूचना जारी की जाएगी।

ऐसे साबित हुआ स्टॉम्प सही है—
भले ही मामले में सरपंच, सचिव व ठेकेदार सुरेश गरासिया ने साफ तौर पर स्टॉम्प को फर्जी बताया और दो गवाह भी मुकर गए, लेकिन स्टॉम्प वेंडर की स्टॉम्प क्रय रसीद व स्टॉम्प की जांच पडताल में मामला सही पाया गया। स्टॉम्प क्रय की रसीद प्राप्त की गई और इसमें खरीदने वाली सरपंच कैलाशीबाई ही निकली। क्रय दिनांक का मिलान भी किया गया। जिससे पुष्टि हुई कि अनुबंध में उपयोग किया गया स्टॉम्प कैलाशीबाई कच्छावा द्वारा ही क्रय किया गया व इसी स्टॉम्प का उपयोग अनुबंध में किया गया है।

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