नीमच। पन्ना के डीएसपी ग्लेडविन कार और नीमच से स्थानांतरित प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान 2 अप्रैल 2025 से इंदौर सेंट्रल जेल में है। सीबीआई ने बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर में इन्हें गिरफ्तार किया था, इसके बाद जमानत की याचिका भी इनके द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई, लेकिन जमानत नहीं मिली है। इस मामले में एक और आरोपी एएसआई दुर्गाशंकर तिवारी ने 22 अप्रैल को सीबीआई के समक्ष सरेंडर कर दिया था, दुर्गाशंकर तिवारी ने भी जमानत याचिका लगाई, वह भी निरस्त हो गई। इधर इस मामले में फरार चल रहे धार डीएसपी विवेक गुप्ता ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया गया था, जिसे माननीय हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निरस्त कर दिया है। अब डीएसपी विवेक गुप्ता की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।
50 दिन से फरार है डीएसपी विवेक गुप्ता सहित कई अधिकारी—
अप्रैल माह की शुरूआत में सीबीआई दिल्ली की टीम ने इस मामले में रामपुरा टीआई व वर्तमान डीएसपी पन्ना ग्लेडविन कार व प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया था। इसके बाद फर्जी एनकाउंटर में शामिल अधिकारी—कर्मचारी भूमिगत हो गए। डीएसपी विवेक गुप्ता, बडवानी एएसपी अनिल पाटीदार सहित एक दर्जन अधिकारी 50 दिन से फरार है। वे छुटटी लेकर गए थे, लेकिन वापस नहीं लौटे।
16 साल पुराना है प्रकरण—
वर्ष 2009 के फरवरी महिने में नीमच पुलिस ने रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम बेसला घाट पर यह फर्जी एनकाउंटर किया था। नलवा निवासी कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मारने का दावा किया था, लेकिन पुलिस ने उसे वर्ष 2011—12 में जिंदा पकड लिया था। इससे यह साफ हो गया कि बंशी गुर्जर की जगह पुलिस ने एनकाउंटर में किसी और व्यक्ति को मारा था। इस मामले में सीआईडी जांच बैठी और सीआईडी जांच धीमी चल रही थी, तो उज्जैन के गोवर्धन पंडया और नीमच के मूलचंद खींची ने हाईकोर्ट खंडपीठ इंदौर में जनहित याचिका लगाई और जनहित याचका की सुनवाई करते हुए वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। तब से इस प्रकरण की सीबीआई जांच चल रही है। एनकाउंटर की टीम में तत्कालीन एसपी व रिटायर्ड आईजी वेदप्रकाश शर्मा सहित कई अधिकारी शामिल है, जिनकी सीबीआई को तलाश है।