चित्तोडगढ। चित्तोगढ में तीन मंजिला इमारत के उपर से फेंकी गई बच्ची की मां को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। महिला ने नर्सिंग की पढाई में खलल पैदा न हो, इसके लिए सात माह की बच्ची को प्रसूति के बाद छत पर फेंक दिया था, दूसरे दिन कबाड़ के सामानों बीच में एक नवजात बालिका रोती-बिलखती हुई मिली थी। 26 जुलाई को बच्ची जिस छत पर मिली थी, उसके पीछे ही एक हॉस्टल संचालित होता है। जिसमें सभी नर्सिंग करने वाली महिलाएं रहती है। जब वहां पर पूछताछ की गई तो एक नर्सिंग कर्मी महिला डरी हुई थी। उससे पूछताछ पर वो बार-बार प्रेंग्नेंट होने की बात से इनकार करती रही। इसीलिए उसका डीएनए टेस्ट करवाया गया। चार महीने बाद अब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आई तो उसमें मैच हो गया। इस आधार पर पुलिस कर्मी आरोपी को पकड़ कर लाए। डीएनए मैच होने की बात पर आरोपी महिला ने इस बात को स्वीकार किया, जिसके आधार पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
महिला ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह 22 साल की है और 2 साल पहले की उसकी शादी हुई थी। उसका पति सूरत में मजदूरी का काम करता था। वह अपने पति के साथ रहती थी। अभी कुछ महीने पहले ही यहां नर्सिंग की पढ़ाई करने के लिए आई। जिला हॉस्पिटल से नर्सिंग करने के दौरान उसे पता चला कि उस वह प्रेग्नेंट हो गई। यह बात उसने अपने पति को बताई। महिला को आगे पढ़ाई करनी थी, उसे बच्चा नहीं चाहिए था। इसीलिए उसने सातवें महीने में अबॉर्शन की दवाई ले ली। जब उसकी डिलीवरी हुई तो उसने बच्ची के भ्रूण को तीन मंजिला हॉस्टल के छत पर जाकर फेंक दिया था।