चित्तोडगढ। राजस्थान में अफीम काश्तकारों में इन दिनों खासी हलचल मची हुई है। वजह है कि आबकारी विभाग द्वारा किसानों से पिछले चार वर्षों का डोडाचूरा का हिसाब मांगा जा रहा है और डोडाचूरा को नष्ट करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। पिछले चार वर्षों से आबकारी विभाग द्वारा डोडाचूरा नष्टीकरण की प्रक्रिया झमेले में पडी हुई थी, हर साल किसान इसका विरोध करते है, लेकिन इस बार आबकारी विभाग ने सख्ती बरतते हुए डोडाचूरा नष्टीकरण किए जाने की पूरी तैयारी कर ली है। किसानों को उत्पादन की मात्रा के अनुसार डोडाचूरा देना होगा और उन्हीं के समक्ष डोडाचूरा को जलाएंगे। अगर किसी किसान ने डोडाचूरा तय मापदंड के अनुसार डोडाचूरा जलाने के लिए नहीं दिया तो उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज होगा वहीं उनके पटटे कटेंगे भी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में कई जिलों में अफीम का उत्पादन होता है। किसान अफीम तो नारकोटिक्स विभाग को सौंप देते है, लेकिन पिछले चार वर्षों डोडाचूरा के नष्टीकरण नहीं हुआ। सूत्र बताते है कि अधिकांश किसानों ने पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के तस्करों को डोडाचूरा बेच दिया है, क्विंटलों डोडाचूरा तस्करी की भेंट चढ चुका है, ऐसे में वे किसान डोडाचूरा कहां से जाएंगे जलाने के लिए। सूत्र बताते है कि डोडाचूरा नष्टीकरण की प्रक्रिया में लेन—देन होने की संभावना है, मिलीभगत कर भूसा या मूंगफली का भूसा जलाने की फिराक में है। अगर ऐसा होता है तो करोडों रूपए की रिश्वतखोरी को अंजाम दिया जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सैकडों किसानों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा दर्ज होगा और उनके पटटे कटेंगे।
20 जनवरी से 4 मई तक चलेगा डोडाचूरा नष्टीकरण—
अफीम की पैदावार लेने के बाद अब चार विभागों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में डोडाचूरा नष्ट करने का काम शुक्रवार से शुरू हो जाएगा। आबकारी विभाग ने डोडाचूरा नष्टीकरण कार्यक्रम की तारीख गुरुवार को जारी कर दी है। उन्होंने 2988 गांवों के 69274 किसानों से पिछले चार सालों का डोडाचूरा लेकर कैंप में आने को कहा है। समिति की ओर से किसानों से मात्रा का हिसाब लेकर डोडाचूरा मौके पर ही जलाया जाएगा। यह काम शुक्रवार से शुरू होगा और 4 मई तक चलेगा। हर दिन एवरेज 15 गांवों के किसानों को बुलाया जाएगा।