प्रतापगढ। प्रतापगढ जेल में कैदियों के पास मोबाइल सुविधा मिलना आम बात हो गई है। जेल के स्टॉफ की मिलीभगत सामने आई हैं। बडा अपराधी हो या फिर छोटा। सभी प्रतापगढ जेल को बेहतर मानते है। यही नहीं कई बार तो मंदसौर, नीमच में बंद अपराधी प्रतापगढ जेल जाना चाहते है और किसी न किसी राजस्थान के मामले में नाम जुडवाकर प्रतापगढ जेल में चले जाते है, वे इसलिए जाते है कि वहां पर खाना से लेकर मोबाइल की सुविधा मिल जाती है। जयपुर से जेल में सक्रिय आपराधिक तत्वों के विरूद्व सघन चैकिंग के निर्देश पर एसपी अनिल कुमार बेनीवाल ने डिप्टी मुकेश कुमार सोनी के नेतृत्व में टीम का गठन किया। तहसीलदार प्रतापगढ़ सतीश पाटीदार भी जेल में उपस्थित रहे। जेल के निरीक्षण के दौरान 13 मोबाइल, 13 डाटा केबल, 4 चार्जर और सात इयर फोन जब्त किए गए है। निरीक्षण के दौरान समूचे जेल में हडकंप मच गया है वहीं जेल स्टाफ की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है। उक्त टीम में शामिल एसआई नारायण लाल मय जाप्ता थाना प्रतापगढ़, शम्भुसिह थाना हथुनिया, मुंशी मोहम्मद तथा जिला विशेष शाखा की टीम शामिल रही। एचएचएमडी उपकरण से धातु का पता लगाया जाता है। बड़े शॉपिंग मॉल्स, होटल, रेस्टोरेंट, एयरपोर्ट के जांच दरवाजे में यही सिस्टम लगा होता है। वीआईपी विजिट के दौरान इसी से मेहमानों की जांच भी होती है। जेल में बंदियों ने बैरक के बाथरूम के अंदर टाइल को उखाड़ कर उसमें गड्ढे बना रखे थे और उसी में मोबाइल और अन्य अवैध सामग्री छुपा रखी थी। ऐसे में इनको ढूंढना सीधे तौर पर काफी मुश्किल था। क्योंकि टाइल चिपकाने के लिए अमूमन सफेद सीमेंट काम लिया जाता है और छुपाने वाले ने बड़ी चालाकी से कोलगेट जो सफेद होती है, उसी से ही टाइल की दरारें भर रखी थी।