सब रजिस्ट्रार का कुख्यात तस्कर और निलंबित कांस्टेबल से कनेक्शन
  • Reporter : dashpur live desk
  • Updated on: October 8, 2022, 5:56 pm


नीमच। कुख्यात तस्कर जयकुमार उर्फ बाबू सिंधी से गठजोड रखने वाले पंजीयन विभाग नीमच में पदस्थ सब रजिस्ट्रॉर शैलेंद्र दंडोतिया का हाल ही में इंदौर में स्थानांतरण हुआ है। करीब डेढ वर्ष से उप पंजीयक दंडोतिया नीमच में थे, नीमच में कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी, सौरभ कोचटटा और निलंबित आरक्षक​ पंकज कुमावत के साथ मिलकर साईलेंट तरीके से काम कर रहा था। अवैध मादक पदार्थों की तस्करी से अर्जित पैसों को ठिकाने लगाने का जिम्मा सब रजिस्ट्रार दंडौतिया का था। दंडौतिया के कारण तस्करों की यह लॉबी प्रापर्टी के अवैध कारोबार में उतर गया थी और मास्टरमाईंड सौरभ कोचटटा दलाल और बाबू सिंधी था। बाबू ​सिंधी के यहां बल्क मात्रा में अवैध मादक पदार्थ मिलने से जेल जाने के बाद सौरभ कोचटटा ने यह कमान संभाल ली थी। शैलेंद्र दंडोतिया की संलिप्तता का जब भंडाफोड हुआ तब जेल में बंद बाबू सिंधी की पत्नी के नाम से रजिस्ट्री करवाने का मामला सामने आया। यह मामला काफी उछला था, लेकिन दंडौतिया ने​ रिकार्ड से बाबू सिंधी की पत्नी के नाम से हुई रजिस्ट्री ही गायब कर दी थी। इस रजिस्र्टी में दंडोतिया ने यह कारनामा किया था कि जिस व्यक्ति के नाम पर जमीन ही नहीं, उसे मालिक बताकर बाबू सिंधी की पत्नी के नाम से रजिस्ट्री कर दी। इस मामले की जांच भोपाल स्तर पर चल रही है। कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी गिरोह के कालेधन को उप पंजीयक जमीनों में खपाने का काम कर रहा था। लोगों का भनक न लगे, इसलिए दंडौतिया पंजीयक विभाग के रजिस्ट्री को सिस्टम को ही एक और तस्कर सौरभ कोचटटा के घर ले जाता था। फोटो, फिंगर प्रिंट लेना जैसी तमाम प्रक्रिया घर पर ही की जाती थी। सूत्रों से पता चला है कि दो नंबर के करीब 100 करोड से अधिक पैसा उप पंजीयक शैलेंद्र दंडोतिया ने दबा रखा है और शैलेंद्र दंडौतिया ने इंदौर, ग्वालियर सहित कई जगहों पर बेनामी संपत्ति अर्जित की है। उप पंजीयक दंडौतिया की कॉल डिटेल्स, परिजनों के बैंक खातें, टॉवर लोकेशन सहित कई ऐसे तकनीकी बिंदु है, जिनकी जांच पडताल करें तो आसानी से खुलासा होगा कि उप पंजीयक कुख्यात तस्करों का आर्थिक गतिविधियों के सहयोग के मामले में साईलेंट पार्टनर है। तस्करों से गठजोड व व्यापारियों को बेवजह परेशान करने का मामला पिछले माह उठा था और व्यापारियों ने भोपाल आईजी को इसकी शिकायत की तो दंडोतिया का स्थानांतरण देवास किया जा रहा था, लेकिन दंडौतिया इंदौर स्थानांतरण किए जाने पर अड गए और आखिरकार इंदौर स्थानांतरण करवा लिया। आखिर इंदौर से दंडौतिया का क्या मोह है, इस तथ्य की जांच पडताल की तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए है। सरकारी महकमें में रहते हुए बाबू सिंधी के साथ काम करने के मामले में ​निलंबित आरक्षक इंदौर सेंट्रल जेल में बंद है, पंकज भी शैलेंद्र दंडोतिया की तरह बाबू गिरोह का सदस्य था, लेकिन सीबीएन ने आरक्षक पंकज को डिटेन कर लिया और इसके बाद निलंबित और बर्खाश्त जेसी तमाम कार्रवाई पंकज कुमावत के खिलाफ हुई। अपने गिरोह का सदस्य इंदौर में होने के कारण दंडौतिया ने इंदौर को चुना, ताकि वे तमाम बेनामी संपत्ति, तस्करी के पैसों पर पर्दा डका रहे और साईलेंट तरीके से गिरोह को इंदौर सेंट्रल जेल से चलाने में सहयोग करता रहे। बाबू गिरोह की गतिविधियों का अब नया ठिकाना इंदौर रहेगा।
फरार सौरभ कोचटटा सरेंडर कर इंदौर जाएगा— बाबू गिरोह के एक—एक सदस्य इंदौर जाने की फिराक में है। प्लानिंग के तहत पहले पंकज कुमावत ने इंदौर जेल ट्रांसफर करवाया, इसके बाद उप पंजीयक शैलेंद्र दंडोतिया देवास जाने की बजाय इंदौर गए। 255​ क्विंटल मादक पदार्थ में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से बाबू का साथी सौरभ कोचटटा फरार है। गिरफ्तारी से बचने के लिए सौरभ को—चोटटा ने कई प्रयास किए। अग्रिम जमानत की याचिका भी लगाई है। जल्द सरेंडर कर सौरभ कोचटटा भी इंदौर सेंट्रल जेल पहुंचने वाला है। उप पंजीयक शैलेंद्र दंडोतिया को जेल में सेटिंग कर बाबू गिरोह की तमाम अवैध गतिविधियां सेंट्रल जेल इंदौर से ही की जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब देखना है कि सफाई में लगातार नंबर वन आने वाले साफ—स्वच्छ शहर में बाबू ​गिरोह के सदस्य काले कारनामें कैसे अंजाम देते है।

जिला पंजीयक की भी भूमिका संदिग्ध— जिला पंजीयक दुष्यंत शर्मा की भी भूमिका संदिग्ध है। जानकारी के मुताबिक बाबू गिरोह के सदस्य जिला पंजीयक को भी मौटी रकम देते थे और जिला पंजीयक दुष्यंत शर्मा भी इनके कारनामें छिपाते आए है और उप पंजीयक दंडोतिया को बचाते आए है। जिला पंजीयक भी नीमच से इंदौर जाने की खबर मिली है।

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