शिवराजसिंह चौहान घोषणा की मशीन, जो आज कल डबल स्पीड से चल रही, पिपलिया में किसान सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साधा निशाना,
  • Reporter : dashpur live desk
  • Updated on: June 6, 2023, 5:16 pm

पिपलिया स्टेशन (जेपी तेलकार)। हमारा प्रदेश कृषि प्रदेश है, 70 प्रतिशत हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र पर आधारित है, गांव में किराने की दुकान भी जब चलती है, जब किसान की जेब में कुछ होता है, मप्र को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान ने 18 साल में बदहाल किसानों का प्रदेश बना दिया है, भ्रष्टाचार का प्रदेश बना दिया। यह बात प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पिपलिया शासकीय बालक उमावि परिसर में आयोजित किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। 6 जून 2017 में हुए किसान आन्दोलन में पुलिस गोलीचालन में हुई 6 किसानों की मौत पर यह किसान सम्मेलन का आयोजन किया था। आयोजन पूर्व हेलीपेड से कार्यक्रम स्थल तक ढ़ाई किलोमीटर लम्बे रोड़ शो में जनसैलाब उमड़ा। किसान सम्मेलन में 7 मिनिट के उद्बोधन में कमलनाथ ने प्रदेश के शिवराजसिंह को घोषणा की मशीन बताया। उन्होंने कहा कि यह घोषणा की मशीन आज कल डबल स्पीड में चल रही है। कमलनाथ ने कहा कि मैंने अपनी सरकार में 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया, मंदसौर जिले में 1 लाख 1 हजार किसानों का कर्ज माफ हुआ। यब सच्चाई आपके सामने है। अतिवृष्टि हुई, मैंने अधिकारियों को कहा, इसकी इंफक्शन मैं करके आया हंू और किसानों को मुआवजा मिला। जबकि शिवराज सरकार में केवल घोटाले ही घोटाले हुए। कमलनाथ ने वादा किया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो किसानों का विशेष ध्यान रखा जाएगा, मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र पर आधारित रहेगी। कमलनाथ ने कहा मध्यप्रदेश के किसान की आमदनी देश के सभी बड़े प्रदेशों में बहुत नीचे पहंुच चुकी है, लाखों किसान डिफाल्टर हो चुके है, कांग्रेस सरकार ने किसानों का जो कर्ज माफ किया था, उसे भी शिवराज सरकार ने रोक दिया है। किसान खाद, बीज से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने तक के लिए परेशान हो रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रदेश के विधायकगण, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, क्षेत्र के मोर्चा प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष मंचासीन थे। संचालन ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने किया।
यह रहा खास:-
पिपलिया में कमलनाथ को आए जवानी के दिन याद, बोले मालवा की दाल-बाटी की याद आती है, वो जवानी के दिन थे, जब मालवा में आकर दाल-बाटी खाया करते थे
-ः- मंच पर आते ही कमलनाथ को जवानी के दिन याद आ गए, बोले यहां जब भी आता हंू तो मुझे मालवा की दाल-बाटी की याद आती है, वो जवानी के दिन थे, जब मालवा में आकर दाल-बाटी खाया करते थे।
-ः- सोशल मीडिया पर कमलनाथ के कार्यक्रम को लाइव देखने वालों को निराशा हाथ लगी, लेकिन आयोजकों की उदासीनता से कार्यक्रम सोशल साइड पर लाइव नही हो पाया।
-ः- कमलनाथ को सुनने के लिए कार्यकर्ताओं व किसानों में काफी उत्साह था, लेकिन काफी कम समय भाषण में कमलनाथ जोश नही भर पाए।
-ः- मंच पर आते ही कमलनाथ बोले मेरा गला खराब है और अंत में सम्बोधन के बाद बोले सही फैसला कीजिए।
-ः- कमलनाथ अपने निर्धारित कार्यक्रम से आधा घंटा लेट 10.30 बजे हेलीपेड पहंुचे।
-ः- मंदसौर से पिपलिया वे हेलीकाप्टर से कॉलेज मैदान परिसर में उतरे, यहां उनकी कांग्रेस नेताओं ने अगवानी की।
-ः- हेलीपेड स्थल से ही कार्यकर्ताओं का हुजूम साथ चला, करीब ढ़ाई किलोमीटर कार्यक्रम स्थल तक कमलनाथ के रोड़ शो में हजारों कार्यकर्ताओं से भीड़ से जाम लग गया।
-ः- मल्हारगढ़ विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दावेदारों के साथ ही अन्य क्षेत्र के दावेदारों ने भी शक्ति प्रदर्शन किया व कमलनाथ के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
-ः- रोड शो के दौरान मल्हारगढ़ विधानसभा से प्रत्याक्षी रहे श्यामलाल जोकचन्द्र के समर्थक हाथ में पोस्टर लगी तख्तियां लेकर तो सुवासरा से उम्मीदवार रहे राकेश पाटीदार के समर्थक कांग्रेस का झंडा लेकर शामिल हुए, जो आकर्षण का केन्द्र रहे।
-ः- हेलीपेड से कार्यक्रम स्थल तक करीब 20 स्थानों पर स्वागत् के लिए मंच बनाए थे, आयोजक मंच पर स्वागत् करना चाहते थे, लेकिन कमलनाथ एक भी जगह नही उतरे।
-ः- रोड़ शो के बाद कमलनाथ ने टीलाखेड़ा बालाजी मंदिर में करीब 20 मिनिट तक मण्डलम व सेक्टर अध्यक्षों की बैठक ली व उनकी राय जानी।
-ः- मंच पर कमलनाथ आने से पहले किसान आन्दोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों से मिले। किसान आन्दोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी।
-ः- मंच पर कमलनाथ थके हुए नजर आए, आते ही तीन बार पानी पिया, बार-बार आंखे बंद कर एनर्जी के लिए मंूह में स्प्रे करते रहे।
-ः- मंच पर कमलनाथ से मिलने जा रहे नेताओं को सुरक्षाकर्मी बार-बार रोकते व डांटते रहे, उसके बावजूद भी नेता मिलने से नही रुके।
-ः- मंच में क्षमता से अधिक नेता व कार्यकर्ता चढ़ गए, कई कार्यकर्ता तो साइड मंे खड़े रहे। वहीं पत्रकारों की कुर्सीयों पर कार्यकर्ता बैठ गए, पत्रकारों को आगे खडे रहे।
-ः- किसान सम्मेलन स्थल की जगह कम होने व मंच उंचा नही होने से लोग पेड़, छत पर चढ़ गए, पीछे खड़े लोगों को तो मंच भी नही दिख रहा था।
-ः- सभा में बाहर से आने वाले वाहनों को नियत स्थानों पर नगर से बाहर ही रोक दिया, इस कारण लोगों को 1 से 2 किलोमीटर पैदल चलकर ही कार्यक्रम में आना पड़ा।
-ः- रात्रि में चल आंधी के सभास्थल पर टेंट उड़ गए, जिन्हें कार्यक्रम शुरु होने से पहले तक मजदूर ठीक करते रहे, आखिरी में खुले टेंट तो लगा ही नही पाए।

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