भिखारी बनकर हेडकांस्टेबल ने कुख्यात तस्कर कमल रणा की ग​ति​विधियों पर रखी नजर, जैसे ही इलाका छोडा तो राजस्थान पुलिस पीछे पड गई और महाराष्ट्र ​से किया गिरफ्तार
  • Reporter : dashpur live desk
  • Updated on: June 20, 2023, 3:25 pm

यपुर पुलिस

 

नीमच। कुख्यात तस्कर कमल राणा पर करीब सत्तर हजार का ईनाम था, राजस्थान पुलिस ने कमल राणा पर 50 हजार व मध्यप्रदेश के मंदसौर पुलिस ने 20 हजार का ईनाम घोषित कर रखा था, कमल राणा ने अपना ठिकाना जीरन व मंदसौर जिले व प्रतापगढ जिले के कुछ हिस्से में ठिकाना बना रखा था। बीते एक माह से जयपुर पुलिस कमल राणा की तलाश में जुटी हुई थी। इसके लिए  एक हेडकांस्टेबल भिखारी बनकर जीरन क्षेत्र में घूम रहा था, इस बात की भनक कमल राणा को लग गई और फार्चूनर गाडी से अपने साथियों के साथ महाराष्ट्र के शिर्डी के लिए रवाना हुआ, यहीं से पुलिस की टीम उसके पीछे लग गई और उसे और उसके साथियों को गिरफ्तार किया। अब जयपुर पुलिस राणा और उसके साथियों को जीरन थाना क्षेत्र में उसके ठिकानों पर लेकर आ रही है।

जानकारी अनुसार राजस्थान और मध्यप्रदेश का इनामी हिस्ट्रीशीटर बंबोरी, प्रतापगढ़ निवासी कमल राणा को जयपुर क्राइम ब्रांच की टीम ने महाराष्ट्र के शिर्डी से गिरफ्तार कर लिया है। उसके साथ उसी के गिरोह के जितेन्द्र उर्फ जितु, ओमप्रकाश उर्फ गुड़, विरेन्द्र और चन्द्र सिंह  पकड़े गए।
सभी आरोपी कई अपराधिक मामलों में वांछित है। कमल राणा पर राजस्थान की पुलिस ने 50 हजार रुपए और एमपी की पुलिस ने 20 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। इसकी गिरफ्तारी को लेकर दिनेश एमएन अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराध शाखा, राजस्थान, जयपुर के निर्देशन में यह कार्रवाई की गई। कमल राणा पर हत्या, लूट, डकैती, अपहरण और तस्करी के 35 मामले दर्ज हैं।
शातिर आरोपी कमल राणा को पकड़ने में चित्तौड़गढ़ की पुलिस की अहम भूमिका रही है, जिसमें से एक हेड कॉन्स्टेबल महावीर सिंह भी शामिल है।
शातिर आरोपी कमल राणा को पकड़ने में चित्तौड़गढ़ की पुलिस की अहम भूमिका रही है, जिसमें से एक हेड कॉन्स्टेबल महावीर सिंह भी शामिल है।
पांच दिनों तक भिखारी बनकर घूमी पुलिस—
लंबे समय से फरार चल रहा आरोपी कमल राणा के कई ठिकानों पर दबिश देने के बावजूद भी कमल राणा हमेशा पुलिस को चकमा देने में सफल होता आया है। इस शातिर आरोपी को पकड़ना भी पुलिस के लिए आसान नहीं था। वह अपने गिरोह के लोगों के साथ एमपी के ही जीरण के क्षेत्रों में बार-बार ठिकाने बदलता रहा।

हेड कॉन्स्टेबल महावीर सिंह और पूरी टीम पांच दिनों तक कभी सर्वेयर बनकर घूमती रही। इसके अलावा पुलिस वेष बदलकर भिखारी बनकर भी रही। रेकी करते हुए कमल राणा की हर गतिविधियों की जानकारी ली। नीमच और उसके आसपास के क्षेत्रों में 100 से भी ज्यादा मुखबिर लगा कर रखा था, जो उन्हें पल-पल की जानकारी दे रहे थे। कमल राणा को भी इसकी सूचना मिल रही थी, जिसके चलते वह यहां से गायब हुआ।

एमपी से बाहर निकलते ही आरोपी को दबोचा
पुलिस जानती थी कि एमपी में उसका नेटवर्क तगड़ा है। यहां पकड़ना मुश्किल होगा, इसीलिए उसके बाहर निकलने का इंतजार करती रही। आरोपी कमल राणा जैसे ही एमपी से अपनी फॉर्चूनर लेकर निकला, पुलिस उसका पीछा करते-करते शिर्डी तक पहुंच गई। उसको और उसके गिरोह को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच जयपुर के महा निरीक्षक प्रफुल्ल कुमार ने अहमदनगर पुलिस अधीक्षक राकेश ओला से बात की। अहमदनगर की पुलिस अधीक्षक ने लोकल लेवल पर मदद दिलवाई। यहां 400 से भी ज्यादा होटलों में दबिश दी, तब जाकर आरोपी पकड़ में आया।

चित्तौड़गढ़ से जवानों को एक महीना बुलाया था जयपुर, टीम में किया शामिल
पुलिस ने शातिर आरोपी और उसके गिरोह को पकड़ने के लिए एक महीना पहले से ही तैयारियां शुरू कर ली थी। कमल राणा को पकड़ने के लिए एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने करीब एक महीने पहले ही हेड कॉन्स्टेबल महावीर सिंह को चित्तौड़गढ़ से जयपुर क्राइम ब्रांच में बुलाया था। यहां हेड कांस्टेबल को ईनामी आरोपी कमल राणा को पकड़ने का टास्क दिया था।

इसके लिए एक विशेष टीम का भी गठन किया गया जिसमें एडिशनल एसपी आशाराम चौधरी, चित्तौड़गढ़ से हेड कांस्टेबल महावीर सिंह, चित्तौड़गढ़ के ही कॉन्स्टेबल रमेश, भीलवाड़ा से कॉन्स्टेबल गोपाल लाल, भीलवाड़ा के ही कॉन्स्टेबल विजय सिंह, सीआईडी सीबी हेड कॉन्स्टेबल शंकर दयाल, आयुक्तालय जयपुर के हेड कॉन्स्टेबल कमल, सीआईडी सीबी के कॉन्स्टेबल मुकेश शामिल थे। इसमें चित्तौड़गढ़ के दोनों जवानों के सबसे विशेष भूमिका रही है।

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