मंदसौर। कुछ दिन पहले मंदसौर जिले के दो सब इंसपेक्टर और एक तस्कर को कोटा में एनसीबी द्वारा पकडने और छोडने पर तीन करोड का तोडबटटा किए जाने की खबर तेजी से चर्चा में आई थी। धुआं आखिर कहां से उठा और दो सब इंसपेक्टर और एक तस्कर का नाम कैसे आया। इस संबंध में कई बातें सामने आई है। इस तरह की चर्चा के आधार पर खबर प्रकाशित की गई थी, खबर खूब वायरल हुई। दूसरे दिन तस्करों के द्वारा बनाई गई कहानी सामने आई है। बताया जा रहा है कि झावल क्षेत्र के दो गुटों से यह खबर उत्पन्न हुई। 40 क्विंटल डोडाचूरा की खेप सिटी कोतवाली ने पकडी थी, इसे पकडवाने में साइबर एक्टसर्ट सब इंसपेक्टर का नाम उछला, लेकिन सच्चाई दो गुट की आपसी खींचतान निकली और एक आरक्षक ने उक्त गाडी को पकडावाया था, इसके साथ ही यह कहानी तेजी से सामने आई कि दो इंसपेक्टर और एक तस्कर को कोटा में एनसीबी ने स्मैक के साथ पकडा, तीन करोड में तोडबटटा हुआ। यह खबर एक माह से घूम रही थी। हर किसी पुलिस अधिकारी के पास खबर किसी न किसी माध्यम से पहुंची और पत्रकारों के पास भी पहुंची। एक साइबर एक्सपर्ट सब इंसपेक्टर और दूसरा थाने में पदस्थ सब इंसपेक्टर का रोल बताया गया, इस अफवाह की गहराई पता लगाई तो पता चला कि तस्करों की कहानी मात्र है। साइबर एक्सपर्ट एसआई का कोई लेना—देना नहीं है, थाने में पदस्थ सब इंसपेक्टर ने भी साफ तौर पर ऐसी घटना से इनकार किया है। जिस दिन की घटना बताई जा रही है, उस दिन क्षेत्र में दोनों सब इंसपेक्टर की मौजूदगी है। कुल मिलाकर तीन करोड के तोडबटटे की अफवाह पूरे मंदसौर जिले में फैली थी, उस पर विराम लगता नजर आ रहा है।
बडा सवाल— अगर गिरफ्तार होते तो हाहाकार मच जाता— अफवाह खबर में यह भी बताया जा रहा है कि दो—तीन दिन तक दोनों एसआई को हिरासत में एजेंसी ने रखा था, अब सवाल उठता है कि अगर दो या तीन दिन हिरासत में रहते तो हाहाकार मच जाता। एनसीबी बडी एजेंसी है, आसानी से पुलिस वाले भी नहीं छूट सकते है।