(मूलचंद खींची)
नीमच। नीमच जिले की कपड़ा फैक्टरी में आज गुरूवार दोपहर को विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। बीते एक महिने से मोरवन बांध के पासपास के गांवों के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच 3 नवंबर 2025 को एक बडी ट्रेक्टर रैली निकालकर किसानों ने कपड़ा फैक्ट्री लगाने का विरोध किया था। जैसे ही किसानों ने ट्रेक्टर रैली में ताकत दिखाई तो दूसरी तरफ कपडा फैक्टरी के प्रबंधन से जुडे हुए लोग डेमेज कंट्रोल पर आ गए। मीडिया और पीआरओ के माध्यम से किसानों तक यह बताने की कोशिश की गई कि कपडा फैक्टरी से कोई नुकसान नहीं होगा.. फैक्टरी प्रबंधन के इस तर्क को ग्रामीणों ने न सिर्फ नकारा बल्कि अपने आंदोलन की गति को तेज कर दिया।
आज तोडफोड और मारपीट की जैसे ही खबर प्रशासन को लगी तो मौके पर जावद एसडीएम प्रीति संघवी पहुंची। उन्होंने कहा कि प्रशासन को लग रहा था कि शांतिप्रिय ढंग से धरना होगा, कल तक शांतिपूर्ण तरीके से धरना चल रहा था....अचानक हिंसक रूप ले लिया...
रतनगढ थाना पुलिस के चार पुलिसकर्मी गुरूवार सुबह से ही ड्यूटी पर थे। अब 4 पुलिसकर्मी के सामने 400 लोग कैसे नियंत्रित हो। मौजूद चार आरक्षक सिर्फ भीड का वीडियो बनाते रहे और आधे घंटे में महिलाओं और अन्य ग्रामीणों ने फैक्टरी का काम तमाम कर दिया। दौड़ा—दौड़ा कर कर्मचारियों को पीटा। स्थिति तो यह हो गई कि दो—दो किलोमीटर दूरी तक अपनी जान बचाने के लिए फैक्ट्री के कर्मचारी और मजदूर भागते गए।
इस पूरे मामले में रतनगढ थाना पुलिस का सूचना तंत्र भी फेल साबित हुआ। वहीं जिला पुलिस प्रशासन का अनुमान भी ढकोसला साबित हुआ और नतीजा मोरवन बांध के पास कपड़ा फैक्ट्री के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। पुलिस प्रशासन की नाकामी इस बात की है कि उनका सूचना तंत्र भी यह नहीं बताया पाया कि तोड़फोड़ मारपीट जैसी गंभीर घटना भी हो सकती है, अगर यह आंकलन या प्रायोजित उग्रता की सूचना पहले से पता चल जाती तो पुलिस भी पर्याप्त होती, हो सकता है कि भारी पुलिस बल के समक्ष यह कांड न होता।
प्रशासन ने भी नहीं की बातचीत, नतीजा आक्रोश बढता ही गया—
मोरवन बांध के पास कपड़ा फैक्टरी का विरोध एक महिने से हो रहा है। टेंट लगाकर ग्रामीण धरना दे रहे थे, फिर ट्रेक्टर रैली का आयोजन रखा। इसके बाद फिर धरना प्रदर्शन जारी रखा। इस बीच प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर नहीं पहुंचा जो किसानों को समझाईश देकर कानूनी प्रक्रिया या फैक्ट्री हटाने का काम सरकार के हाथों में है या फिर उनके हाथों में है, कपड़ा फैक्ट्री हटाने की शिकायत करने का उचित माध्यम क्या है! क्या कपड़ा फैक्ट्री वास्तव में हानिकारक है। इन सब बातों को बातचीत से समझाया की कोशिश भी नहीं हुई।
फैक्टरी लगाने से पहले किसानों को नहीं लिया विश्वास में—
एक और बात सामने आई है कि फैक्ट्री के लिए जगह चयन की प्रक्रिया कई महिनों पहले हो चुकी थी। नियमों के मुताबिक ग्रामीणों को शिविर लगाकर आपत्तियां मांगी जाती है, पर यह प्रक्रिया भी पारदर्शी रूप से नहीं हुई। अचानक फैक्ट्री का काम शुरू हुआ, तब जाकर आसपास के गांवों को पता चला। फैक्ट्री के निर्माण शुरू करने से पहले सभी बातें साफ होना थी।
आंदोलन के पीछे कुछ तत्व भी सक्रिय—
नीमच जिला मादक पदार्थ की खेती में अव्वल है, इस लिहाज से स्वभाविक रूप से मादक पदार्थ की तस्करी का गढ नीमच जिला है। कुछ कथित नेता भी पर्दे के आग में घी डालने जैसा काम कर रहे है। पुलिस को ऐसे कथित लोगों की शिनाख्त करनी चाहिए, तो किसान के जनहितेषी के भेष में इन दिनों घूम रहे है। वे लोग चाहते है कि आराजकता फैले, पुलिस डेमेज हो। पुलिस व्यस्त हो जाए और वे तस्करी के काम में बडा खेल करें।